Saturday, December 24, 2011

हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

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हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
शुद्ध आध्यात्मिक, शुद्ध वैज्ञानिक महागीत पुनीता;
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

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अर्जुन सा एकाग्र नहीं हैं,
बुद्धि तीव्र कुशाग्र नहीं है;
महाबली ना महाबाहो हैं,
हम सब हैं भयभीता;
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

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हम तो बड़े कमजोर मनुज हैं,
असहाय मजबूर मनुज हैं;
कदम कदम पे हम हैं फिसलते,
और हैं बड़े पतिता;
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

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तुम समर्थ बस और न कोई,
दुष्ट दमन कर सके न कोई;
धृतराष्ट बन बैठे हैं सब,
मोह ने इनको है जीता;
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

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हम सब भी हैं मोह के वश में,
काम, क्रोध, मद, लोभ के वश में;
पर हम गिरे हैं चरण तुम्हारे,
उठा लो हमको मीता;
हे कृष्ण समझा दो ना, हमें तू अपनी गीता;
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!
हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण! हे कृष्ण!

-अमृताकाशी